तुम्हारी बहुत याद आती है शायरी || Bahut Yaad Aati Ho Tum
सुनो
बहुत याद आती हो तुम.
जब शाम की चाय के साथ-साथ तुम ना मिलो,
तब बहुत याद आती हो तुम.
जब पूरा दिन गुज़रने के बाद भी तुम्हारी आवाज़ कानो
तक ना आये,
तब बहुत याद आती हो तुम.
जब तुम्हें देखने की उम्मीद में सुबह से शाम ढल जाये
और तुम्हारी एक झलक फिर भी ना देख पाऊँ,
तब बहुत याद आती हो तुम.
जब राहों में चलते हुए तुम्हारा हाथ अपने हाथों में ना
महसूस कर पाऊँ,
तब बहुत याद आती हो तुम.
जब आसमान में चाँद को देखते हुए तुम्हारे बारे में
लिखता हूँ,
तब बहुत याद आती हो तुम.
जब मैं खुद को आइना में देखता हूँ तो तुम्हारी परछाईं
मेरी आँखों में दिखती है,
तब बहुत याद हो तुम.
जब ख्वाबों में तुम्हें देखते हुए रात गुज़र जाये, और सुबह
तुम पास ना हो,
तब बहुत याद आती हो तुम.
सुनो, बहुत याद आती हो तुम.
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